About Us
"मखस्थानं महापुण्य यत्र पुण्या मनोरमा । यत्र राजा दशरथो पुत्रेष्टि कृतवान् पूरा ।।"
Our Story
श्री राम सेवा चैरीटेबल ट्रस्ट की स्थापना 11-03-2017 सोमवार को हुई थी जो एक धार्मिक व आधयात्मिक संस्था है इसका मुख्य उद्देश्य समझ के लोगो में अपने भगवान के प्रति, धर्म के प्रति सकारात्मक विचारो की बढ़ोतरी करना है। जो समाझ में शांति स्थापित करने में भी सहायक हो और जीव अपना एक अच्छा काल यापन करते हुए उस परम तत्त्व जिसे हम भगवान, ईश्वर आदि कई नामो से पुकारते है उसे ही पाना है।
Mission
समाज में भगवत कथा, राम कथा, कृष्ण कथा इत्यादि धार्मिक कथाओ के माधयम से शांति एवं मानवता का संदेश का प्रसार करना। गौ सेवा एवं गौ रक्षा का संदेश लोगो को प्रदान करना समाज में जरूरतमंद लोगो की सहायता करना एवं वृद्धाश्रम में योगदान, विकलांगो की सहायता करना, गरीब बच्चो की सहायता आदि |
Vision
मानव जाति की सेवा भावना के साथ वेदांत अध्ययन और आध्यात्मिक प्रथाओं को सहायता और प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें विशिष्ट सामाजिक नैतिकता की समकालीन जरूरतों के संदर्भ में जीवन को समझने लिए सहायता करना । मानवता और आध्यात्मिकता का विकास करना |
सुख की खोज
कर्म से अर्थ, अर्थ से धर्म, धर्म से मोक्ष
- इस चराचरं जगत में जो मेरा अनुभव है, वो यही सिद्ध करता है कि देवता, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर, मानव, भगवान के मन्दिर- अन्ध वधिर, मूक, गौशाला और यहाँ तक कि भगवान नारायण के स्वरूप – भगवान श्री राम भगवान श्री कृष्ण आदि अवतार एवं कृपा पात्र – युधिष्ठिर, अर्जुन, सुदामा आदि भी बिना अर्थ के अधूरे देखे गये । जब हम संसार की हर गति में धन का संचार देखते हैं तो फिर धन पाने का श्री कुबेर भगवान के अभाव में निष्फल प्रयत्न क्यों करते हैं । जबकि भगवान श्री कृष्ण को, राजा युधिष्ठिर को सुदामा जी आदि क्रो धन देने वाले श्री कुबेर भगवान ही हैं। तो आप श्री कुबेर भगवान से जुडे और अपना निहित कर्म करते हुएं सदां प्रयत्नशील रहें ।
- आज लोभ से ही त्याग-बैराग्य, धर्म -पुण्य के साधन अर्थात शान्ति का मार्ग मिलने वाला है क्योंकि आज तक आपने बैराग्य सुना है, आत्मा परमात्मा एवं मोक्ष को सुना है। परन्तु आपने न सुना, भूख को, लाचारी को, अपमान को, निर्धनता की पीड़ा को, क्योंकि आपको अधूरा ज्ञान-बैराग्य, त्याग, मोक्ष देने वाले लोभी व्यक्ति ही सुनने को मिले, जो दूसरों की पीड़ा न जान सके अपने बड़े-बड़े आश्रम-संस्था, गौशाला आदि वो चलाते रहे । जो त्यागी बैरागी और वस्त्रहीन थे वो भी करोडों को बटोरते रहे । परन्तु वास्तविकता को न जान सके कि इस दुनियाँ को अब क्या चाहिए । जो भूखा है उसे उपवास नहीं, उसे भोजन चाहिए जिसकी संसार की कामना अभी अधूरी हैं इसे संसार के भोग चाहिए उसे धन चाहिए परन्तु उसे दिया गया बैराग्य दिया गया. इस लिए वो बैरागी एवं त्यागी न हो सके ।
- इस प्रकृति की एक अटल गौडिकता है जो पाया है वो छूट जायेगा और जो पाया नहीं है उसे पाने को निरन्तर प्रयत्न किया जायेगा और जो पा लिया है उसे पाने का प्रयत्न नहीं होगा इसलिए जो संसार पा लेते हैं वो फिर परमात्मा को ही पाना चहाते हैं ये ही प्रकृति की गौडिकता (नियम) है। तो आप पहले काम पायें, काम से अर्थ, अर्थ से धर्म, धर्म से मोक्ष एवं शान्ति, आप पाने का प्रयत्न करें,